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7 सितंबर से शुरू होगा श्राद्ध पक्ष, पहले दिन लगेगा पूर्ण चंद्रग्रहण: पंचांग गणना में तिथि क्षय का संयोग, फिर भी पूरे 15 दिन रहेगा श्राद्ध पक्ष!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन सहित पूरे देश में इस बार महालया श्राद्ध पक्ष रविवार, 7 सितंबर से शुरू हो रहा है। पंचांग गणना के अनुसार यह श्राद्ध पक्ष कुंभ राशि में स्थित चंद्रमा, शततारका नक्षत्र और सुकर्मा योग के संयोग में आरंभ हो रहा है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इन विशेष ग्रह-नक्षत्रों के संयोग के कारण यह श्राद्ध पितरों को तृप्त करने के साथ-साथ साधकों को कार्यसिद्धि का आशीर्वाद भी देगा।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, शततारका नक्षत्र सौ प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। वहीं सुकर्मा योग किसी भी कार्य को सफल बनाने के लिए बेहद अनुकूल होता है। इसलिए इस वर्ष का श्राद्ध पक्ष पितरों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही साधकों को सकारात्मक फल प्रदान करेगा।
इस बार महालया श्राद्ध के पहले दिन ही पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा। यह ग्रहण 7 सितंबर की रात 9:57 बजे से शुरू होकर 8 सितंबर की दोपहर 1:27 बजे तक रहेगा। इसकी कुल अवधि लगभग 3 घंटे 30 मिनट की होगी। ग्रहण का पूर्ण चरण रात 11:00 बजे शुरू होगा और 12:23 बजे समाप्त होगा। ग्रहण का सूतक दोपहर 12:58 बजे से शुरू हो जाएगा। इसका अर्थ है कि पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध दोपहर 12:58 बजे तक ही किया जा सकेगा।
इस वर्ष पंचांग गणना के अनुसार एक तिथि का क्षय हो रहा है। कुछ ज्योतिषियों ने सप्तमी तिथि का क्षय बताया है, जबकि कुछ के अनुसार नवमी तिथि क्षय होगी। इसके बावजूद श्राद्ध पक्ष पूरे 15 दिन तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार जिस तिथि की पुष्टि मध्याह्न या कुतुप काल में हो, उसी तिथि पर श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना जाता है।
श्राद्ध के लिए उज्जैन के सिद्धवट, रामघाट और गया कोठा का विशेष महत्व है। इन घाटों पर पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को विशेष संतुष्टि प्राप्त होती है। माना जाता है कि यहां किया गया श्राद्ध सीधे पितृलोक तक पहुंचता है।
विशेष ग्रह-योग श्राद्ध पक्ष में
श्राद्ध पक्ष के दौरान कई महत्वपूर्ण ग्रह योग भी बन रहे हैं। सूर्य इस समय सिंह राशि में हैं और बुध तथा केतु के साथ युति कर रहे हैं। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार सूर्य-केतु की यह युति पितरों के प्रति श्रद्धा और तर्पण का श्रेष्ठ समय बनाती है। इसके अलावा, 18 सितंबर (गुरुवार) को पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इस दिन किया गया श्राद्ध अत्यंत फलदायक माना जाएगा और पितरों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करेगा।
कहां-कहां दिखाई देगा चंद्रग्रहण
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के खगोल विज्ञान केंद्र के अनुसार यह पूर्ण चंद्रग्रहण भारत सहित अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, यूरोप और अटलांटिक महासागर के पूर्वी हिस्सों से दिखाई देगा। भारत में ग्रहण के सभी चरण साफ तौर पर देखे जा सकेंगे। भारत में अगला पूर्ण चंद्रग्रहण 3 मार्च 2026 को घटित होगा। पिछला आंशिक चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर 2023 को देखा गया था।
राशियों पर प्रभाव
ग्रहण का असर राशियों पर भी पड़ेगा। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि यह ग्रहण मेष, वृषभ, कन्या और धनु राशि के जातकों के लिए शुभ रहेगा। मिथुन, सिंह, तुला और मकर राशि वालों के लिए ग्रहण का असर सामान्य रहेगा। वहीं कर्क, वृश्चिक, मीन और कुंभ राशि के जातकों को ग्रहण नहीं देखना चाहिए, क्योंकि इनके लिए यह ग्रहण प्रतिकूल फल देने वाला हो सकता है।